पिछले तीन दिनों से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- भूराजनीतिक तनाव: इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष और ईरान की मिसाइल हमले जैसी घटनाओं ने वैश्विक अनिश्चितता पैदा की है। इसके कारण कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने का खतरा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था जैसी तेल आयातक देशों के लिए महंगाई बढ़ा सकती हैं
- यूएस फेडरल रिजर्व की बैठक: आगामी यूएस फेड की बैठक में ब्याज दरों में कटौती पर अनिश्चितता ने निवेशकों को चिंतित किया है। ब्याज दरों में कम कटौती की संभावना से बाजार में गिरावट आई है
- प्रॉफिट बुकिंग: भारतीय शेयर बाजार में लगातार 14 दिनों की तेजी के बाद निवेशक मुनाफा बुक कर रहे हैं, जिससे बाजार में बिकवाली का दबाव बना है। इस प्रक्रिया को ‘ओवरबॉट कंडीशन’ यानी अधिक खरीदी गई स्थिति के रूप में देखा जा रहा है
- कमजोर वैश्विक आर्थिक डेटा: यूएस में नौकरी के खराब आंकड़े और मुद्रास्फीति की चिंता ने वैश्विक बाजारों को प्रभावित किया है। इसके कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से धन निकाल रहे हैं, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ रहा है
वैल्यू इन्वेस्टिंग के अवसर
इस बाजार गिरावट के बावजूद, यह समय वैल्यू इन्वेस्टिंग के लिए अच्छा अवसर हो सकता है। मजबूत नींव वाली कंपनियों के शेयरों को चुनकर, निवेशक दीर्घकालिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। निम्नलिखित सेक्टरों पर ध्यान दिया जा सकता है:
- बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं: ये सेक्टर आर्थिक स्थिरता लौटने के बाद तेजी से उभर सकते हैं।
- इंफ्रास्ट्रक्चर और पावर: भारत की विकास योजनाओं और ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए ये दीर्घकालिक रूप से अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
- फार्मा और FMCG: ये रक्षात्मक सेक्टर होते हैं, जो आर्थिक मंदी के दौरान भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं
वैल्यू इन्वेस्टिंग में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन कंपनियों को चुना जाए जिनकी नींव मजबूत हो, कर्ज कम हो, और वे अपने क्षेत्र में अच्छी स्थिति में हों। ऐसे समय में निवेश का धैर्य रखना और सही निर्णय लेना लंबे समय में फायदेमंद हो सकता है।