Inspiring story of a widow financial management

सपनों की चाबी: एक सच्ची कहानी जो बदल देगी आपकी सोच!

Inspiring story of a widow financial management

आज ‘सपनों की चाबी’ ब्लॉग में, हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी कहानी, जो न केवल सच्ची है, बल्कि इतनी प्रेरणादायक है कि यह आपकी सोच को गहराई तक छू लेगी। यह कहानी किसी और की नहीं, बल्कि एक अद्भुत महिला की है, जिसने इसे खुद हमारे साथ साझा किया है।

हम सभी जानते हैं कि ज़िंदगी अप्रत्याशित होती है, एक पल में सब कुछ बदल सकता है। लेकिन क्या हो अगर हम इस अनिश्चितता के लिए तैयार रहें? क्या हो अगर हमारे समझदार निर्णय और दूरदर्शी योजनाएँ हमें जीवन के तूफानों से आसानी से निकलने में मदद करें?

यह कहानी हमें यही सिखाती है। यह कहानी है एक ऐसी महिला की, जो आज बेंगलुरु के एक शांत रिटायरमेंट अपार्टमेंट में सुकून से रहती हैं, लेकिन जिनकी ज़िंदगी ने उन्हें कई अप्रत्याशित मोड़ दिखाए। एक विधवा के रूप में, उन्होंने न केवल अपने दुख से उबरना सीखा, बल्कि अपनी वित्तीय समझदारी और मजबूत इच्छाशक्ति से अपने भविष्य को फिर से आकार दिया।

आइए, इस अद्भुत यात्रा का हिस्सा बनें और इस कहानी से सीखें कि कैसे जीवन की चुनौतियाँ हमें और भी मजबूत, और भी समझदार बना सकती हैं। यह सिर्फ एक कहानी नहीं, यह एक सबक है – जीवन को सहज और सुरक्षित बनाने का सबक।


मेरी वित्तीय यात्रा: उनके सपनों से मेरी उड़ान तक

My Financial Journey: From His Dreams to My Flight

कॉफी की महक रसोई में फैल रही थी और सुबह की पहली किरणें खिड़की से झाँक रही थीं। एक खाली कप और मेरा अधूरा नाश्ता मेज पर पड़ा था, और मेरी निगाहें एक चार्ट पर टिकी थीं जिस पर लिखा था – “पति का पोर्टफोलियो।” मेरे पति, जिनकी यादें आज भी मेरे साथ हैं, उन्होंने बड़ी बारीकी से सब कुछ व्यवस्थित किया था। 40% म्यूचुअल फंड में, 30% अचल संपत्ति में, 10% पीएफ (प्रोविडेंट फंड) में, 10% सोने में, और बाक़ी 5%-5% स्टॉक और लिक्विड कैश में। एक छोटी सी टिप्पणी भी थी – “बैंक में लिक्विड।”

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सालों तक, यह सारा हिसाब-किताब उनका ही काम था। वह निवेश संभालते थे, आंकड़े देखते थे, और बाजार की पेचीदगियों को समझते थे। मुझे उन पर पूरा भरोसा था, और सच कहूँ तो, “स्टॉक” और “म्यूचुअल फंड” जैसे शब्दों से जूझना मुझे किसी ऐसी भाषा में पहेली सुलझाने जैसा लगता था जिसे मैं जानती ही नहीं थी। मेरी भूमिका अलग थी – अपने घर को संभालना, अपने परिवार की देखभाल करना, अपनी जिंदगी को सँवारना। और फिर, एक दिन, उनकी कुर्सी खाली हो गई।

दुख एक सैलाब की तरह आया था, सब कुछ बहा ले जाने वाला। लेकिन उस अथाह पीड़ा के बीच, एक नई तरह का डर पनपने लगा – पेट में एक ठंडी, गांठ जैसी भावना, हमारे वित्तीय भविष्य को लेकर। “अब मैं क्या करूँ?” मुझे याद है, मैं फुसफुसाई थी, उसी पोर्टफोलियो चार्ट को घूरते हुए, जो अब मुझे नक्शे से ज्यादा एक भूलभुलैया लग रहा था।


कमान संभालना: ‘उनका’ पोर्टफोलियो अब ‘मेरा’ हो गया

Taking the Reins: ‘His’ Portfolio is Now ‘Mine’

यह आसान नहीं था। कई दिन ऐसे थे जब मैं पूरी तरह से हताश महसूस करती थी, ऐसे दिन जब मैं बस अपना सिर रेत में छिपा लेना चाहती थी। लेकिन फिर मुझे उनकी लगन याद आती, हमारी वित्तीय सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, और मुझे एहसास हुआ कि मुझे सीखना होगा, समझना होगा। मैंने उनकी फ़ाइलें देखना शुरू किया, वित्तीय शब्दों को समझने की कोशिश की, और अपने वित्तीय सलाहकार से सवाल पूछे – एक दयालु व्यक्ति जिसने धैर्यपूर्वक सब कुछ समझाया, कभी-कभी दो बार भी।

धीरे-धीरे, हिचकिचाते हुए, मैंने फैसले लेना शुरू किया। कुछ बदलाव हुए, कुछ संतुलन साधा गया। पोर्टफोलियो का “बाद का” चार्ट अब आकार लेने लगा था, और यह “मेरे द्वारा प्रबंधित” हो गया।

  • म्यूचुअल फंड का हिस्सा बड़ा हो गया, 60%, क्योंकि मैंने उनके विविधीकरण और पेशेवर प्रबंधन को महत्व देना सीख लिया था।
  • अचल संपत्ति एक महत्वपूर्ण 35% बनी रही, एक ऐसी संपत्ति जिसे हमने हमेशा महत्व दिया था।
  • और फिर, 5% ज्वेलरी। यह मेरा अपना स्पर्श था, शायद एक अधिक व्यक्तिगत निवेश, लेकिन इसमें भावनात्मक और आंतरिक दोनों मूल्य थे।

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यह कोई बड़ा बदलाव नहीं था, लेकिन यह मेरा बदलाव था। यह मेरे आराम के स्तर को दर्शाता था, मेरी समझ को, और हमारे भविष्य के लिए मेरी दृष्टि को।


नियमित आय की सुखद ध्वनि

The Sweet Sound of Regular Income

सबसे सुखद खोजों में से एक यह थी कि हमारा निवेश आय का एक स्थिर स्रोत कैसे बन सकता है। ऐसा लग रहा था कि पैसा हमारे लिए काम कर रहा है, चुपचाप और लगातार। यह मेरे लिए सिर्फ़ आंकड़ों का खेल नहीं था, बल्कि एक सुरक्षा कवच था।

हमारे म्यूचुअल फंड से एक सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान (SWP) था, जिससे हर महीने ₹1.5 लाख की विश्वसनीय आय आती थी। और फिर, हमारी एक संपत्ति से किराये की आय थी, जो हर महीने ₹1 लाख और जोड़ देती थी।

यह जानकर कि म्यूचुअल फंड और किराये की संपत्ति से हर महीने ₹2.5 लाख आ रहे हैं, यह एक बहुत बड़ी राहत थी। यह सिर्फ़ जीवित रहने के बारे में नहीं था; यह गरिमा बनाए रखने और उस जीवन को जारी रखने के बारे में था जिसे हमने मिलकर बनाया था। इसने मुझे शोक मनाने, ठीक होने और योजना बनाने की आज़ादी दी, बिना हर एक रुपये कमाने के तत्काल दबाव के।


जो सबक उन्होंने सिखाए (और काश मैं पहले जान लेती)

The Lessons He Taught (and I Wish I’d Known Sooner)

इन सब के दौरान, मुझे एहसास हुआ कि मेरे पति ने मुझे केवल निवेश ही नहीं दिया था; उन्होंने मुझे तैयारी का एक खाका भी दिया था। यह एक मौन सबक था, जिसे काश हमने पहले अधिक खुले तौर पर चर्चा की होती। लेकिन अब, मैं चाहती हूँ कि हर व्यक्ति, हर साथी, इन छोटी-छोटी बातों के महत्व को समझे। ये सिर्फ “करने योग्य काम” नहीं हैं; ये प्यार और दूरदर्शिता के कार्य हैं, जो जीवन के सबसे कठिन क्षणों में सहारा बनते हैं।

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  • भौतिक पासवर्ड सूची: ओह, मैंने उनकी इस सूची के लिए उनके कार्यालय को कितना खंगाला! कल्पना कीजिए, बैंक खातों, बिजली के बिलों, यहाँ तक कि हमारी स्ट्रीमिंग सेवाओं तक पहुँचने की कोशिश करना, जब सभी पासवर्ड उनके दिमाग में हों। आखिरकार, मुझे एक छोटी, घिसी हुई नोटबुक मिली। वह एक जीवनरक्षक थी! कृपया, एक भौतिक, अद्यतन सूची रखें जिसमें सभी आवश्यक पासवर्ड हों, और सुनिश्चित करें कि आपके साथी को ठीक से पता हो कि यह कहाँ मिल सकती है। डिजिटल सुविधाजनक है, लेकिन आपात स्थितियों के लिए, एक मूर्त रिकॉर्ड सोने जैसा है।
  • विवाह प्रमाणपत्र: मैंने इसके बारे में तब तक ज़्यादा नहीं सोचा था जब तक कि मुझे पेंशन दावों और संपत्ति हस्तांतरण के लिए इसकी आवश्यकता नहीं पड़ी। इसने हमारे कानूनी रिश्ते को साबित किया, कागज का एक साधारण टुकड़ा जिसमें इतनी शक्ति थी। इसे सुरक्षित रखें, जानें कि यह कहाँ है, और सुनिश्चित करें कि आपके साथी इसे आसानी से प्राप्त कर सकें।
  • मृत्यु प्रमाणपत्र की कई प्रतियां: यह सबसे बड़ा आश्चर्य था। मैंने सोचा था कि एक प्रति पर्याप्त होगी। लेकिन हर संस्थान – बैंक, बीमा कंपनियाँ, भविष्य निधि कार्यालय, संपत्ति रजिस्ट्रार – सभी को एक प्रमाणित प्रति चाहिए थी। मैंने खुद को और अधिक प्रतियां मंगवाते हुए पाया। यह एक गंभीर काम है, लेकिन घटना के तुरंत बाद कई प्रमाणित प्रतियां प्राप्त कर लें। यह आपको बहुत सारी परेशानी और देरी से बचाएगा।

यह यात्रा अप्रत्याशित विकास की रही है। मैंने सीखा है कि वित्तीय साक्षरता कोई लिंग-विशिष्ट विशेषता नहीं है, न ही यह कोई बोझ है। यह सशक्तिकरण का एक रूप है, उन लोगों की विरासत का सम्मान करने का एक तरीका है जिन्हें हम प्यार करते हैं, और अपनी मन की शांति सुनिश्चित करने का मार्ग है।

आइए, हम इसके बारे में बात करें। आइए बोझ साझा करें, और आइए सुनिश्चित करें कि हम सब तैयार हैं, साथ मिलकर – जीवन की हर चुनौती का सामना करने के लिए!

 

धन्यवाद।

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इक्विटी फंड्स में सबसे अधिक नकदी रखने वाले शीर्ष 10 म्यूचुअल फंड हाउस (2024):

 

ये उच्च नकद होल्डिंग फंड मैनेजर्स की सतर्क रणनीति को दर्शाती हैं, जो बाजार की अस्थिरता और उच्च मूल्यांकन के बीच बेहतर निवेश अवसरों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

Here is the list

 

Quant Mutual Fund, PPFAS Mutual Fund, Motilal Oswal Mutual Fund, ICICI Prudential Mutual Fund, HDFC Mutual Fund, SBI Mutual Fund, Axis Mutual Fund, Bandhan Mutual Fund, DSP Mutual Fund, Tata Mutual Fund ,

क्वांट म्यूचुअल फंड, पीपीएफएएस म्यूचुअल फंड, मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड, एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, एसबीआई म्यूचुअल फंड, एक्सिस म्यूचुअल फंड, बंधन म्यूचुअल फंड, डीएसपी म्यूचुअल फंड, टाटा म्यूचुअल फंड।

 

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Systematic Investment plan Sip

Systematic Investment plan Sip

SIP: एक समयिक और सुरक्षित निवेश का तरीका

आज के समय में जब हमारे सामने कई तरह के निवेश के विकल्प हैं, वहां एक ऐसा तरीका भी है जो आपको थोड़ी राशि से बड़ा मुनाफा कमाने का अवसर प्रदान करता है – इसे हम SIP यानी सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान कहते हैं। आइए, समझते हैं कि SIP क्या होता है, इसे कैसे किया जाता है, और इसका फायदा क्या है।

SIP क्या है?

SIP एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसमें आप निर्धारित समय अंतराल पर छोटी-छोटी राशि निवेश करते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आप एक महीने में ₹500 से ₹5000 तक निवेश कर सकते हैं, तो आप SIP के माध्यम से लंबे समय तक यह निवेश करते हुए अपने पैसे को बढ़ाने का अवसर पा सकते हैं। यह एक म्यूचुअल फंड योजना होती है जिसमें आप प्रतिदिन, प्रति सप्ताह, या प्रति माह अपने बजट के अनुसार एक निश्चित राशि निवेश करते हैं।

SIP कैसे करते हैं?

SIP का प्रारंभ करना आसान है। सबसे पहले, आपको एक म्यूचुअल फंड योजना चुननी होती है जो आपकी जोखिम सहनशीलता और वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार हो। उसके बाद, आपको अपने बैंक खाते से ऑटो-डेबिट सुविधा सेट करनी होती है, ताकि हर महीने निर्धारित राशि आपके म्यूचुअल फंड में निवेशित हो जाए।

SIP शुरू करने के स्टेप्स:

  1. म्यूचुअल फंड प्लेटफार्म पर रजिस्टर करें: आजकल कई ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे Groww, Zerodha, Paytm Money या ET Money आपको आसानी से SIP शुरू करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
  2. फंड और राशि का चुनाव करें: आपको अपनी मर्जी के अनुसार स्कीम और निवेश राशि का चयन करना होता है। आप ₹500, ₹1000 या जितनी राशि आप चाहें, निवेश कर सकते हैं।
  3. ऑटो-डेबिट सेट करें: हर महीने आपके बैंक खाते से निर्धारित राशि स्वचालित रूप से निकालकर आपके म्यूचुअल फंड में निवेश होती रहेगी।

SIP के मुख्य फायदे:

1. छोटे निवेश, बड़ा लाभ

SIP आपको छोटी राशि से निवेश करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे बड़े पैसे एक साथ निवेश करने का जोखिम नहीं उठाना पड़ता। थोड़ी-थोड़ी राशि निवेश करते हुए आप अपना धन बढ़ा सकते हैं।

2. कंपाउंडिंग का जादू

कंपाउंडिंग का मतलब है “मुनाफा पर मुनाफा।” जब आप SIP में निवेश करते हैं, तो आपको हर साल आपके निवेश पर ब्याज मिलता है, और यह ब्याज आपके मूल निवेश के साथ जुड़ता रहता है, जिससे आपको अगले साल उस बड़े अमाउंट पर भी मुनाफा मिलता है। इस प्रक्रिया को ही “कंपाउंड इंटरेस्ट” कहा जाता है, जिसमें आप लंबे समय तक अपना धन बढ़ाने का अवसर पा सकते हैं।

3. रुपी कॉस्ट एवरेजिंग

बाजार के ऊंच-नीच का असर आपके रिटर्न्स पर नहीं पड़ता, क्योंकि SIP में आप हर महीने एक ही राशि निवेश करते हैं। जब बाजार नीचे होता है तब आपको ज़्यादा यूनिट्स मिलते हैं और जब बाजार ऊपर होता है तब कम यूनिट्स मिलते हैं, जो लंबी अवधि में आपके रिटर्न्स को सुधारते हैं। इस प्रक्रिया को रुपी कॉस्ट एवरेजिंग कहते हैं।

4. डिसिप्लिन और रेग्युलैरिटी

SIP निवेशक को एक अनुशासित और नियमित निवेश का अवसर प्रदान करता है। यदि आप निर्धारित समय पर निवेश करते रहते हैं, तो आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को धीरे-धीरे और सुरक्षित तरीके से प्राप्त कर सकते हैं।

SIP में कंपाउंडिंग कैसे होती है?

कंपाउंडिंग को अक्सर “धन बढ़ाने का जादू” कहा जाता है। SIP में जब आप एक राशि निवेशित करते हैं और उस पर मुनाफा कमाते हैं, तो अगले वर्ष वही मुनाफा भी आपके मूल निवेश के साथ जुड़कर ब्याज कमाता है। जैसे यदि आपने ₹1000 निवेशित किए हैं और आपको 10% रिटर्न मिला, तो ₹100 का मुनाफा मिलेगा, और अगले साल आप ₹1100 पर ब्याज कमाएंगे। इस तरह से लंबे समय तक कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है।

भारत में SIP के प्रमुख प्लेटफॉर्म्स

भारत में कई प्लेटफॉर्म्स हैं जो आपको SIP के माध्यम से म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने की सुविधा प्रदान करते हैं। कुछ प्रमुख प्लेटफॉर्म्स हैं:

  • Groww
  • Zerodha Coin
  • Paytm Money
  • ET Money
  • Kuvera
  • Upstox
  • ICICI Direct

यहां उन म्यूचुअल फंड्स के बारे में जानकारी दी जा रही है जिन्हें आपने उल्लेख किया है। ये फंड्स विभिन्न श्रेणियों (कैप साइज) में आते हैं और निवेशकों के लिए अच्छी संभावनाएं रखते हैं, खासकर लंबी अवधि के लिए SIP के माध्यम से।

1. Mirae Asset Large and Mid Cap Fund – Direct Growth

  • Category: Large and Mid Cap Fund
  • Fund Objective: यह फंड बड़े और मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करता है, जिससे निवेशकों को सुरक्षा के साथ-साथ अच्छी वृद्धि की संभावना मिलती है।
  • Risk: Moderately High (मध्यम उच्च जोखिम)
  • Returns: इस फंड ने लम्बी अवधि में लगभग 12-15% वार्षिक रिटर्न दिया है।
  • Why Invest: यह फंड उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो लंबी अवधि में स्थिर और संतुलित ग्रोथ चाहते हैं।

2. ICICI Prudential Technology Fund – Direct Growth

  • Category: Sectoral/Thematic Fund (Technology)
  • Fund Objective: यह फंड विशेष रूप से टेक्नोलॉजी सेक्टर की कंपनियों में निवेश करता है, जैसे IT और सॉफ्टवेयर कंपनियां।
  • Risk: High (उच्च जोखिम)
  • Returns: पिछले कुछ सालों में इसने 25-30% तक का वार्षिक रिटर्न दिया है, खासकर टेक्नोलॉजी सेक्टर की उन्नति के कारण।
  • Why Invest: टेक्नोलॉजी सेक्टर में विश्वास रखने वाले निवेशकों के लिए यह फंड एक शानदार विकल्प हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो उच्च जोखिम सहने में सक्षम हैं।

3. Motilal Oswal Midcap Fund – Direct Growth

  • Category: Mid Cap Fund
  • Fund Objective: यह फंड मुख्य रूप से मिड कैप कंपनियों में निवेश करता है, जो ग्रोथ के साथ-साथ जोखिम का भी तत्व रखता है।
  • Risk: Moderately High (मध्यम उच्च जोखिम)
  • Returns: यह फंड लंबे समय में लगभग 15-18% तक रिटर्न देने में सफल रहा है।
  • Why Invest: मिड कैप कंपनियों में निवेश करना उन निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो जोखिम के साथ उच्च रिटर्न की संभावना तलाश रहे हैं।

4. Quant Small Cap Fund – Direct Plan Growth

  • Category: Small Cap Fund
  • Fund Objective: यह फंड छोटी कंपनियों में निवेश करता है, जिनमें तेजी से वृद्धि करने की क्षमता होती है, लेकिन इसमें उच्च जोखिम भी शामिल होता है।
  • Risk: High (उच्च जोखिम)
  • Returns: इस फंड ने पिछले कुछ सालों में 20-25% तक का वार्षिक रिटर्न दिया है।
  • Why Invest: छोटे निवेशकों के लिए, जो उच्च जोखिम के साथ अच्छा रिटर्न पाना चाहते हैं, यह एक अच्छा विकल्प है।

5. Nippon India Small Cap Fund – Direct Growth

  • Category: Small Cap Fund
  • Fund Objective: यह फंड भी छोटी कंपनियों में निवेश करता है, जिनमें उच्च जोखिम के साथ उच्च रिटर्न की संभावना होती है।
  • Risk: High (उच्च जोखिम)
  • Returns: इस फंड ने पिछले 7 सालों में औसतन 22-26% तक का वार्षिक रिटर्न दिया है।
  • Why Invest: अगर आप लम्बी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं और आपको छोटे कैप कंपनियों में निवेश करने में दिलचस्पी है, तो यह एक बेहतर विकल्प है।

6. ICICI Prudential Large and Mid Cap Fund – Direct Growth

  • Category: Large and Mid Cap Fund
  • Fund Objective: यह फंड बड़ी और मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करता है, जो संतुलित वृद्धि और स्थिरता प्रदान करता है।
  • Risk: Moderately High (मध्यम उच्च जोखिम)
  • Returns: इस फंड ने औसतन 12-15% का वार्षिक रिटर्न दिया है।
  • Why Invest: यह फंड उन निवेशकों के लिए है जो लम्बी अवधि के लिए कम जोखिम और अच्छी वृद्धि चाहते हैं।

7. ICICI Prudential Nifty Next 50 Fund – Direct Growth

  • Category: Index Fund (Nifty Next 50)
  • Fund Objective: यह फंड Nifty Next 50 इंडेक्स में सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश करता है, जो बड़े कैप कंपनियों के बाद सबसे बड़ी कंपनियां हैं।
  • Risk: Moderately High (मध्यम उच्च जोखिम)
  • Returns: यह फंड लंबे समय में 10-14% का वार्षिक रिटर्न देने में सक्षम रहा है।
  • Why Invest: अगर आप इंडेक्स आधारित निवेश चाहते हैं जो जोखिम को विविध करता है, तो यह फंड एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

 

SIP और SWP में मुख्य अंतर:

SIP (Systematic Investment Plan) और SWP (Systematic Withdrawal Plan) दोनों म्यूचुअल फंड से संबंधित निवेश योजनाएं हैं, लेकिन इनका उद्देश्य और काम करने का तरीका अलग होता है। आइए जानते हैं इन दोनों के बीच का अंतर:

1. SIP (Systematic Investment Plan)

  • परिभाषा: SIP एक ऐसी योजना है जिसके माध्यम से आप म्यूचुअल फंड में नियमित रूप से एक निश्चित राशि का निवेश करते हैं। SIP आपको हर महीने, तिमाही या किसी निश्चित अवधि में छोटे-छोटे निवेश करने की सुविधा देता है।
  • उद्देश्य: SIP का मुख्य उद्देश्य लंबी अवधि में धन जुटाना और एक अनुशासित निवेश प्रक्रिया को अपनाना है। यह छोटे निवेशों के जरिए बड़ा पोर्टफोलियो बनाने में मदद करता है।
  • कैसे काम करता है: SIP के तहत निवेशक नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। इससे रुपी कॉस्ट एवरेजिंग और कंपाउंडिंग के फायदे मिलते हैं।
  • उदाहरण: यदि आप हर महीने ₹5000 का निवेश करते हैं, तो यह SIP कहलाता है।
  • किसके लिए उपयुक्त: यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो नियमित रूप से छोटी-छोटी राशि से लंबी अवधि में बड़ा फंड बनाना चाहते हैं।

2. SWP (Systematic Withdrawal Plan)

  • परिभाषा: SWP एक ऐसी योजना है जिसके माध्यम से आप अपने म्यूचुअल फंड से नियमित रूप से एक निश्चित राशि निकाल सकते हैं। यह योजना आपको हर महीने, तिमाही या किसी निश्चित अवधि में अपनी निवेश राशि से एक तयशुदा राशि निकालने की सुविधा देती है।
  • उद्देश्य: SWP का मुख्य उद्देश्य म्यूचुअल फंड में पहले से निवेश की गई राशि से नियमित आय प्राप्त करना होता है। यह सेवानिवृत्त लोगों या नियमित आय चाहने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त होता है।
  • कैसे काम करता है: SWP के तहत निवेशक अपने निवेश किए गए म्यूचुअल फंड से हर महीने या तिमाही में निश्चित राशि निकालते हैं। यह एक तरह से निवेश का उल्टा होता है, जहां निवेश करने के बजाय आप अपना पैसा धीरे-धीरे निकालते हैं।
  • उदाहरण: यदि आपने म्यूचुअल फंड में ₹10 लाख का निवेश किया है और आप हर महीने ₹10,000 निकालना चाहते हैं, तो यह SWP कहलाता है।
  • किसके लिए उपयुक्त: यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो नियमित आय चाहते हैं, जैसे सेवानिवृत्ति के बाद।

SIP और SWP में मुख्य अंतर:

पैरामीटर SIP (Systematic Investment Plan) SWP (Systematic Withdrawal Plan)
उद्देश्य नियमित रूप से निवेश करना नियमित रूप से पैसा निकालना
कैसे काम करता है हर महीने या तिमाही में निवेश करना हर महीने या तिमाही में पैसा निकालना
लक्ष्य धन जुटाना और लंबी अवधि में संपत्ति बनाना नियमित आय प्राप्त करना
किसके लिए उपयुक्त युवा निवेशक, जो निवेश की शुरुआत कर रहे हैं सेवानिवृत्त लोग या नियमित आय चाहने वाले
उदाहरण हर महीने ₹5000 निवेश करना हर महीने ₹10,000 निकालना

निष्कर्ष:

  • SIP दीर्घकालिक संपत्ति बनाने के लिए आदर्श है, जहां आप छोटी-छोटी राशि नियमित रूप से निवेश करते हैं।
  • SWP उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो अपने मौजूदा निवेश से नियमित आय चाहते हैं, जैसे कि रिटायरमेंट के बाद

 

ये सभी फंड्स विभिन्न निवेश श्रेणियों में आते हैं और निवेशकों को उनके जोखिम सहनशीलता, वित्तीय लक्ष्यों और निवेश की अवधि के अनुसार विकल्प प्रदान करते हैं। हर फंड का अपना जोखिम स्तर और संभावित रिटर्न होता है, इसलिए किसी भी फंड में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना हमेशा महत्वपूर्ण है ताकि आप सही निर्णय ले सकें।

SIP निवेश एक समझ-बूझ भरा और सुरक्षित तरीका है जो छोटी राशि से शुरू होता है, और आपको बड़े रिटर्न्स कमाने का अवसर प्रदान करता है। समय के साथ, कंपाउंडिंग के जादू और रुपी कॉस्ट एवरेजिंग के माध्यम से आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को आसानी से पा सकते हैं।

अगर आप अपने भविष्य के लिए सुखद और सुरक्षित धन का प्लान बना रहे हैं, तो SIP एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

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NPS OPS UPS scheme complete comparison

NPS OPS UPS scheme complete comparison

यहां NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम), OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) और UPS (अविभाजित पेंशन स्कीम) का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत है:

1. NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम):

परिचय:

  • NPS 2004 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पेंशन योजना है। यह उन सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है जो 2004 के बाद नौकरी में आए, और अन्य लोग भी इसमें स्वैच्छिक रूप से जुड़ सकते हैं।

मुख्य विशेषताएं:

  • योगदान आधारित: NPS एक योगदान आधारित योजना है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों पेंशन निधि में नियमित रूप से योगदान करते हैं।
  • चुस्त विकल्प: NPS में निवेशक अपनी जोखिम सहनशक्ति के आधार पर इक्विटी, सरकारी बॉन्ड, और कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश का विकल्प चुन सकते हैं।
  • कर लाभ: धारा 80C और 80CCD(1B) के तहत कर लाभ प्रदान करता है।
  • रिटायरमेंट के बाद: NPS से सेवानिवृत्ति पर 60% राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है और बाकी 40% से आपको अनिवार्य रूप से वार्षिकी (annuity) खरीदनी होती है, जिससे आपको नियमित मासिक पेंशन मिलती है।

लाभ:

  • यह सेवानिवृत्ति के बाद स्थिर आय सुनिश्चित करता है।
  • कंपाउंडिंग से दीर्घकालिक निवेश का लाभ मिलता है।

कमियां:

  • सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पेंशन का कोई निश्चित रिटर्न नहीं होता।
  • बाजार जोखिम के कारण रिटर्न में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

2. OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम):

परिचय:

  • OPS भारत में पहले लागू की गई पेंशन योजना थी, जिसे 2004 से पहले के सभी सरकारी कर्मचारियों को दिया जाता था। यह स्कीम अब नई भर्तियों के लिए बंद कर दी गई है।

मुख्य विशेषताएं:

  • परिभाषित लाभ: OPS में कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित राशि मिलती है, जो उसकी अंतिम सैलरी पर आधारित होती है।
  • सरकारी वित्त पोषित: इस योजना में कर्मचारी का योगदान नहीं होता था; पूरी पेंशन सरकार द्वारा दी जाती थी।
  • डीए (महंगाई भत्ता): इसमें डीए के अनुसार पेंशन की राशि में समय-समय पर वृद्धि होती है।

लाभ:

  • यह एक स्थिर और निश्चित पेंशन सुनिश्चित करता है।
  • कोई बाजार जोखिम नहीं होता।

कमियां:

  • यह सरकारी वित्त पर भारी दबाव डालती थी क्योंकि इसमें कर्मचारियों का कोई योगदान नहीं था।
  • नई आर्थिक परिस्थितियों में यह योजना वित्तीय रूप से टिकाऊ नहीं मानी गई।

3. UPS (अविभाजित पेंशन स्कीम):

परिचय:

  • UPS एक अवधारणा है, जो पुराने और नए पेंशन सिस्टम को मिलाकर एक समग्र पेंशन योजना प्रदान करने का सुझाव देती है। इसे अभी तक औपचारिक रूप से लागू नहीं किया गया है, लेकिन इसे पेंशन सुधार के रूप में देखा जाता है।

मुख्य विशेषताएं:

  • UPS का उद्देश्य OPS और NPS की सर्वोत्तम विशेषताओं को जोड़ना है। इसमें सरकार और कर्मचारी दोनों का योगदान होगा, और यह सेवानिवृत्ति के बाद स्थिर पेंशन प्रदान करेगा।
  • यह एक संतुलन बनाएगा जहां कर्मचारी को नियमित पेंशन मिलेगी और सरकार पर वित्तीय बोझ कम होगा।

लाभ:

  • यह पेंशन का संतुलित मॉडल हो सकता है।
  • कर्मचारियों को स्थिर आय के साथ निवेश की सुविधा मिल सकती है।

कमियां:

  • UPS अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है, इसलिए इसके व्यावहारिकता की पुष्टि नहीं की जा सकती।

तुलनात्मक अध्ययन:

विशेषताएं NPS OPS UPS
योगदान कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान केवल सरकार द्वारा वित्त पोषित सरकार और कर्मचारी दोनों का योगदान
रिटर्न बाजार-आधारित, निवेश पर निर्भर निश्चित पेंशन, अंतिम वेतन पर आधारित संभावित रूप से स्थिर पेंशन और निवेश का संतुलन
जोखिम बाजार जोखिम उपस्थित कोई जोखिम नहीं संतुलित जोखिम
लाभांश कंपाउंडिंग का लाभ समय-समय पर डीए के अनुसार वृद्धि TBD
निष्कर्ष लंबे समय तक लाभ, लेकिन अनिश्चित पेंशन स्थिर, निश्चित लेकिन सरकार पर भारी संतुलित विकल्प का सुझाव

निष्कर्ष:

  • OPS में पेंशन की स्थिरता अधिक है, लेकिन यह वित्तीय रूप से सरकार के लिए भारी है।
  • NPS आधुनिक पेंशन योजना है, जो बाजार आधारित रिटर्न प्रदान करती है, लेकिन इसमें अनिश्चितता है।
  • UPS एक संभावित समाधान हो सकता है, जो दोनों योजनाओं की अच्छी विशेषताओं को समाहित कर सकता है, लेकिन इसे अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।

NPS भविष्य की निवेश आधारित पेंशन प्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि OPS अतीत की सरकार द्वारा वित्त पोषित पेंशन प्रणाली है। UPS इन दोनों का संतुलित समाधान हो सकता है।

 

सबसे लोकप्रिय स्कीम की बात करें तो पुरानी पेंशन योजना (OPS) इस समय सरकारी कर्मचारियों के बीच सबसे ज्यादा पॉपुलर है। इसके पीछे कई कारण हैं:

पुरानी पेंशन योजना (OPS) की लोकप्रियता के कारण:

  1. गारंटीड और स्थिर पेंशन:
    OPS में जीवनभर के लिए एक फिक्स्ड पेंशन मिलती है, जो अंतिम तनख्वाह के आधार पर तय होती है और उसमें महंगाई भत्ता (DA) भी जुड़ता है। यह वित्तीय सुरक्षा देता है।

  2. बाजार के जोखिम से बचाव:
    OPS किसी भी प्रकार के बाजार (स्टॉक/बॉन्ड आदि) के प्रदर्शन पर निर्भर नहीं करता। इससे कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद निश्चित आय मिलती है।

  3. प्रदर्शन और बहाली:
    कई सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना (NPS) के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं और OPS की बहाली की मांग कर रहे हैं। राजस्थान, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में इसे वापस लागू कर दिया गया है, जिससे इसकी लोकप्रियता और बढ़ी है।

नई पेंशन योजना (NPS) की लोकप्रियता:

  • प्राइवेट सेक्टर और युवाओं में नई पेंशन योजना ज्यादा पसंद की जाती है, क्योंकि:
    1. यह निवेश योजना और योगदान विकल्पों में लचीलापन देती है।
    2. इसे केवल सरकारी नौकरियों तक सीमित नहीं रखा गया है; यह प्राइवेट सेक्टर और अन्य फ्रीलांसर्स के लिए भी खुली है।

यूनिफाइड पेंशन सिस्टम:

  • यूनिफाइड पेंशन पर चर्चा तो हो रही है, लेकिन इसे अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। इसलिए इसकी लोकप्रियता फिलहाल कम है।

निष्कर्ष:

सरकारी कर्मचारियों में OPS सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, जबकि प्राइवेट सेक्टर और छोटे निवेशकों में NPS ज्यादा अपनाया जा रहा है।

 

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म्यूचुअल फंड्स एक ऐसा निवेश साधन है जहां कई निवेशकों का पैसा एकत्रित किया जाता है और एक पेशेवर प्रबंधक द्वारा विभिन्न वित्तीय साधनों जैसे शेयरों, बॉन्ड्स, और अन्य प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है। यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो सीधे शेयर बाजार में निवेश करने का समय, जानकारी या अनुभव नहीं रखते। नीचे पॉइंट्स में म्यूचुअल फंड्स के बारे में विस्तार से बताया गया है:

म्यूचुअल फंड्स के बारे में जानकारी:

1. निवेशकों से पैसा एकत्रित करना:

म्यूचुअल फंड्स में कई निवेशकों का पैसा इकट्ठा किया जाता है। यह फंड उन लोगों के लिए होता है जो छोटे या बड़े अमाउंट से निवेश करना चाहते हैं।

2. पेशेवर प्रबंधन:

म्यूचुअल फंड्स को एक फंड मैनेजर द्वारा प्रबंधित किया जाता है। यह पेशेवर प्रबंधक तय करता है कि कौन-से शेयर, बॉन्ड्स या अन्य निवेश साधनों में पैसा लगाना है, ताकि अधिकतम रिटर्न प्राप्त किया जा सके।

3. विविधीकरण (Diversification):

म्यूचुअल फंड्स का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह विभिन्न प्रकार के शेयरों और बॉन्ड्स में निवेश करता है, जिससे आपका जोखिम कम हो जाता है। यदि एक या दो कंपनियों के शेयर गिरते हैं, तो भी आपको बहुत अधिक नुकसान नहीं होता क्योंकि आपका पैसा कई जगहों पर बंटा होता है।

4. लिक्विडिटी (Liquidity):

म्यूचुअल फंड्स में आप किसी भी समय अपने यूनिट्स को बेच सकते हैं और पैसे निकाल सकते हैं। हालांकि, कुछ फंड्स में यह सुविधा एक निश्चित अवधि के बाद ही मिलती है, जैसे लॉक-इन पीरियड के बाद।

5. कम राशि से निवेश:

म्यूचुअल फंड्स में आप कम से कम ₹500 या ₹1000 से भी निवेश शुरू कर सकते हैं। इसके लिए SIP (Systematic Investment Plan) एक अच्छा विकल्प है, जिससे आप हर महीने एक निश्चित राशि निवेश कर सकते हैं।

6. जोखिम का स्तर:

म्यूचुअल फंड्स में जोखिम का स्तर फंड के प्रकार पर निर्भर करता है। इक्विटी म्यूचुअल फंड्स अधिक जोखिम भरे होते हैं, जबकि डेट फंड्स में जोखिम कम होता है। हाइब्रिड फंड्स में इक्विटी और डेट दोनों का मिश्रण होता है, जो मध्यम जोखिम प्रदान करते हैं।

7. प्रकार:

म्यूचुअल फंड्स के कई प्रकार होते हैं, जैसे:

  • इक्विटी फंड्स (Equity Funds): यह फंड्स शेयर बाजार में निवेश करते हैं और उच्च रिटर्न की संभावना के साथ अधिक जोखिम भी होते हैं।
  • डेट फंड्स (Debt Funds): यह फंड्स सरकारी और कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश करते हैं और अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले होते हैं।
  • हाइब्रिड फंड्स (Hybrid Funds): यह इक्विटी और डेट फंड्स दोनों का मिश्रण होते हैं।
  • लिक्विड फंड्स (Liquid Funds): इसमें कम अवधि के निवेश किए जाते हैं, जिससे तुरंत पैसे निकालने की सुविधा मिलती है।

8. लाभांश वितरण:

म्यूचुअल फंड्स से होने वाले मुनाफे को निवेशकों के बीच लाभांश के रूप में बांटा जा सकता है। कुछ फंड्स नियमित रूप से लाभांश देते हैं, जबकि अन्य फंड्स मुनाफा कम होने पर ही देते हैं।

9. NAV (Net Asset Value):

म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स की कीमत NAV के रूप में जानी जाती है। यह फंड की कुल संपत्ति के मूल्य को यूनिट्स की संख्या से विभाजित करके निकाली जाती है। निवेशकों को यूनिट्स की खरीद और बिक्री इसी NAV के आधार पर की जाती है।

10. कर लाभ (Tax Benefits):

म्यूचुअल फंड्स के कुछ प्रकारों में कर लाभ मिलता है, जैसे कि ELSS (Equity Linked Savings Scheme)। इसमें निवेश करने पर आपको आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत छूट मिलती है।

11. निवेश की अवधि:

म्यूचुअल फंड्स में निवेश की अवधि फंड के प्रकार पर निर्भर करती है। कुछ फंड्स छोटे समय के लिए होते हैं (6 महीने से 1 साल), जबकि अन्य फंड्स लंबी अवधि (5 से 10 साल) के लिए होते हैं। लंबी अवधि के फंड्स में रिटर्न का संभावित स्तर अधिक हो सकता है।


निष्कर्ष:

म्यूचुअल फंड्स एक सरल और सुविधाजनक तरीका है, खासकर उन लोगों के लिए जो शेयर बाजार में सीधे निवेश करने की जटिलताओं से बचना चाहते हैं। इसमें पेशेवर प्रबंधन और विविधीकरण जैसे लाभ होते हैं, जिससे निवेशक सुरक्षित और लंबी अवधि के लिए अपने वित्तीय लक्ष्य पूरे कर सकते हैं।

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