Why Price Of Petrol Diesel And LPG In India Hiked ?

Why Price Of Petrol Diesel And LPG In India Hiked ?

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी

7 अप्रैल 2025 को, भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। इसका कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हुई वृद्धि है। इस दौरान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और ओपेक देशों के उत्पादन कटौती ने कच्चे तेल की कीमतों को नए स्तर पर पहुंचा दिया।

भारतीय बाजार में, बढ़ी हुई एक्साइज ड्यूटी भी पेट्रोल और डीजल के दामों में इस बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण है। सरकार ने इन करों को बढ़ाकर इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को वित्तपोषित करने का निर्णय लिया है।

एलपीजी सिलेंडर की कीमत में उछाल

एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में भी 7 अप्रैल 2025 को 75 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी देखी गई। यह बदलाव अनुदान कटौती और वैश्विक गैस आपूर्ति में कमी के कारण देखने को मिला है। केंद्र सरकार का तर्क है कि यह कदम वित्तीय बजट में संतुलन और अन्य परियोजनाओं के लिए फंड जुटाने के लिए आवश्यक था।

आम जनता पर प्रभाव

पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों में वृद्धि ने आम जनता के घरेलू बजट पर असर डालना शुरू कर दिया है। परिवहन लागत में बढ़ोतरी से आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के दाम भी बढ़ रहे हैं। मध्यम और निम्न वर्ग के लोग इस आर्थिक दबाव से निराश हैं।

सरकार का रुख

सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कीमतें दीर्घकालिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स जैसे सड़क और परिवहन उन्नयन में निवेश के लिए बढ़ाई गई हैं। इसके अलावा, सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों के लिए अपने भंडार को मजबूत करने के उद्देश्य से भी इन संसाधनों का उपयोग करने का इरादा जताया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को टैक्स राहत और वैकल्पिक उपायों पर विचार करना चाहिए ताकि जनता पर इसका बोझ कम किया जा सके।

भारतीय बाजार में ईंधन की कीमतें क्यों बढ़ीं, जबकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट हो रही है?

भारत में 7 अप्रैल 2025 को पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी ने पुरे देश में चर्चा का विषय बना दिया है। आश्चर्यजनक रूप से यह बढ़ोतरी तब हुई है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हैं। आइए इसमें छिपे कारणों को समझते हैं।

1. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का कारण

पिछले कुछ महीनों में वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें ओपेक देशों द्वारा उत्पादन में वृद्धि और कमजोर अंतरराष्ट्रीय मांग के चलते कम हुई हैं। ऐसी स्थिति में उम्मीद थी कि इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा, लेकिन इसके विपरीत भारत में ईंधन की कीमतें बढ़ाई गईं।

2. मूल कारण: सरकार की नीति

भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत केवल कच्चे तेल पर निर्भर नहीं करती। इसमें शामिल अन्य प्रमुख कारक हैं:

  • उच्च टैक्स दरें: केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोलियम उत्पादों पर भारी टैक्स लगाती हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमत का लगभग 60% हिस्सा टैक्स का होता है।
  • नए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स: सरकार ने सड़क, रेलवे और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली जैसे दीर्घकालिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने हेतु एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है।
  • राजनीतिक और बजटीय बाधाएं: आगामी बजट में वित्तीय घाटे को कम करने के उद्देश्य से कीमतें बढ़ाई गई हैं।

3. एलपीजी मूल्य वृद्धि के पीछे वजह

  • सब्सिडी मात्रा में कटौती: एलपीजी सब्सिडी को कम करने के कारण घरेलू सिलेंडर की कीमतों में वृद्धि हुई है। सरकार अब जरूरतमंदों को लक्षित सब्सिडी नीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
  • आयात लागत में वृद्धि: एलपीजी का उत्पादन काफी हद तक आयात पर निर्भर है। हालांकि कच्चे तेल की कीमत कम हुई है, लेकिन डॉलरीकरण और वैश्विक शिपिंग लागत ने कुल लागत को प्रभावित किया है।

4. आम जनता पर असर

  • घरेलू बजट पर भार: पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों ने परिवहन लागत को बढ़ा दिया है। इस कारण रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं जैसे खाने-पीने के सामान महंगे हो रहे हैं।
  • मध्यम और निम्न वर्ग पर प्रभाव: गरीब तबके के लिए यह आर्थिक दबाव का कारण बन रहा है, क्योंकि उनका घरेलू बजट पहले ही महंगाई के कारण प्रभावित है।
  • रोजगार और उत्पादन पर असर: परिवहन लागत में बढ़ोतरी ने उत्पादन और व्यापार को भी प्रभावित किया है।

5. विशेषज्ञों की राय

  • विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का लाभ जनता को देना चाहिए था।
  • वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और टिकाऊ नीतियों पर जोर देने की आवश्यकता है ताकि पेट्रोलियम उत्पादों की खपत कम हो सके।
  • टैक्स संरचना में संशोधन कर आम जनता को राहत देना जरूरी है।

6. सरकार का बयान

सरकार ने पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमत बढ़ाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि:

  • यह वृद्धि दीर्घकालिक विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की गई है।
  • तेल और गैस के लिए रणनीतिक भंडारण को मजबूत करने के लिए इन संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है।

निष्कर्ष

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद भारत में ईंधन की कीमतें बढ़ने का मुख्य कारण सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर और बजटीय प्राथमिकताएं हैं। हालांकि, ये नीतियां दीर्घकालिक दृष्टिकोण से लाभदायक हो सकती हैं, लेकिन फिलहाल इसका सीधा बोझ आम जनता पर पड़ रहा है। सरकार को टैक्स ढांचे में सुधार और वैकल्पिक वित्तीय उपायों को अपनाने की जरूरत है ताकि जनता को राहत मिल सके।

 

 

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अधिक जानकारी और लाइव अपडेट्स के लिए:

  1. [MoneyControl] https://www.moneycontrol.com/markets/indian-indices/

  2. [NSE India] https://www.nseindia.com/market-data/live-market-indices

  3. [Investing.com] https://www.investing.com/indices/india-indices

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