Inspiring story of a widow financial management

सपनों की चाबी: एक सच्ची कहानी जो बदल देगी आपकी सोच!

Inspiring story of a widow financial management

आज ‘सपनों की चाबी’ ब्लॉग में, हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी कहानी, जो न केवल सच्ची है, बल्कि इतनी प्रेरणादायक है कि यह आपकी सोच को गहराई तक छू लेगी। यह कहानी किसी और की नहीं, बल्कि एक अद्भुत महिला की है, जिसने इसे खुद हमारे साथ साझा किया है।

हम सभी जानते हैं कि ज़िंदगी अप्रत्याशित होती है, एक पल में सब कुछ बदल सकता है। लेकिन क्या हो अगर हम इस अनिश्चितता के लिए तैयार रहें? क्या हो अगर हमारे समझदार निर्णय और दूरदर्शी योजनाएँ हमें जीवन के तूफानों से आसानी से निकलने में मदद करें?

यह कहानी हमें यही सिखाती है। यह कहानी है एक ऐसी महिला की, जो आज बेंगलुरु के एक शांत रिटायरमेंट अपार्टमेंट में सुकून से रहती हैं, लेकिन जिनकी ज़िंदगी ने उन्हें कई अप्रत्याशित मोड़ दिखाए। एक विधवा के रूप में, उन्होंने न केवल अपने दुख से उबरना सीखा, बल्कि अपनी वित्तीय समझदारी और मजबूत इच्छाशक्ति से अपने भविष्य को फिर से आकार दिया।

आइए, इस अद्भुत यात्रा का हिस्सा बनें और इस कहानी से सीखें कि कैसे जीवन की चुनौतियाँ हमें और भी मजबूत, और भी समझदार बना सकती हैं। यह सिर्फ एक कहानी नहीं, यह एक सबक है – जीवन को सहज और सुरक्षित बनाने का सबक।


मेरी वित्तीय यात्रा: उनके सपनों से मेरी उड़ान तक

My Financial Journey: From His Dreams to My Flight

कॉफी की महक रसोई में फैल रही थी और सुबह की पहली किरणें खिड़की से झाँक रही थीं। एक खाली कप और मेरा अधूरा नाश्ता मेज पर पड़ा था, और मेरी निगाहें एक चार्ट पर टिकी थीं जिस पर लिखा था – “पति का पोर्टफोलियो।” मेरे पति, जिनकी यादें आज भी मेरे साथ हैं, उन्होंने बड़ी बारीकी से सब कुछ व्यवस्थित किया था। 40% म्यूचुअल फंड में, 30% अचल संपत्ति में, 10% पीएफ (प्रोविडेंट फंड) में, 10% सोने में, और बाक़ी 5%-5% स्टॉक और लिक्विड कैश में। एक छोटी सी टिप्पणी भी थी – “बैंक में लिक्विड।”

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सालों तक, यह सारा हिसाब-किताब उनका ही काम था। वह निवेश संभालते थे, आंकड़े देखते थे, और बाजार की पेचीदगियों को समझते थे। मुझे उन पर पूरा भरोसा था, और सच कहूँ तो, “स्टॉक” और “म्यूचुअल फंड” जैसे शब्दों से जूझना मुझे किसी ऐसी भाषा में पहेली सुलझाने जैसा लगता था जिसे मैं जानती ही नहीं थी। मेरी भूमिका अलग थी – अपने घर को संभालना, अपने परिवार की देखभाल करना, अपनी जिंदगी को सँवारना। और फिर, एक दिन, उनकी कुर्सी खाली हो गई।

दुख एक सैलाब की तरह आया था, सब कुछ बहा ले जाने वाला। लेकिन उस अथाह पीड़ा के बीच, एक नई तरह का डर पनपने लगा – पेट में एक ठंडी, गांठ जैसी भावना, हमारे वित्तीय भविष्य को लेकर। “अब मैं क्या करूँ?” मुझे याद है, मैं फुसफुसाई थी, उसी पोर्टफोलियो चार्ट को घूरते हुए, जो अब मुझे नक्शे से ज्यादा एक भूलभुलैया लग रहा था।


कमान संभालना: ‘उनका’ पोर्टफोलियो अब ‘मेरा’ हो गया

Taking the Reins: ‘His’ Portfolio is Now ‘Mine’

यह आसान नहीं था। कई दिन ऐसे थे जब मैं पूरी तरह से हताश महसूस करती थी, ऐसे दिन जब मैं बस अपना सिर रेत में छिपा लेना चाहती थी। लेकिन फिर मुझे उनकी लगन याद आती, हमारी वित्तीय सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, और मुझे एहसास हुआ कि मुझे सीखना होगा, समझना होगा। मैंने उनकी फ़ाइलें देखना शुरू किया, वित्तीय शब्दों को समझने की कोशिश की, और अपने वित्तीय सलाहकार से सवाल पूछे – एक दयालु व्यक्ति जिसने धैर्यपूर्वक सब कुछ समझाया, कभी-कभी दो बार भी।

धीरे-धीरे, हिचकिचाते हुए, मैंने फैसले लेना शुरू किया। कुछ बदलाव हुए, कुछ संतुलन साधा गया। पोर्टफोलियो का “बाद का” चार्ट अब आकार लेने लगा था, और यह “मेरे द्वारा प्रबंधित” हो गया।

  • म्यूचुअल फंड का हिस्सा बड़ा हो गया, 60%, क्योंकि मैंने उनके विविधीकरण और पेशेवर प्रबंधन को महत्व देना सीख लिया था।
  • अचल संपत्ति एक महत्वपूर्ण 35% बनी रही, एक ऐसी संपत्ति जिसे हमने हमेशा महत्व दिया था।
  • और फिर, 5% ज्वेलरी। यह मेरा अपना स्पर्श था, शायद एक अधिक व्यक्तिगत निवेश, लेकिन इसमें भावनात्मक और आंतरिक दोनों मूल्य थे।

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यह कोई बड़ा बदलाव नहीं था, लेकिन यह मेरा बदलाव था। यह मेरे आराम के स्तर को दर्शाता था, मेरी समझ को, और हमारे भविष्य के लिए मेरी दृष्टि को।


नियमित आय की सुखद ध्वनि

The Sweet Sound of Regular Income

सबसे सुखद खोजों में से एक यह थी कि हमारा निवेश आय का एक स्थिर स्रोत कैसे बन सकता है। ऐसा लग रहा था कि पैसा हमारे लिए काम कर रहा है, चुपचाप और लगातार। यह मेरे लिए सिर्फ़ आंकड़ों का खेल नहीं था, बल्कि एक सुरक्षा कवच था।

हमारे म्यूचुअल फंड से एक सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान (SWP) था, जिससे हर महीने ₹1.5 लाख की विश्वसनीय आय आती थी। और फिर, हमारी एक संपत्ति से किराये की आय थी, जो हर महीने ₹1 लाख और जोड़ देती थी।

यह जानकर कि म्यूचुअल फंड और किराये की संपत्ति से हर महीने ₹2.5 लाख आ रहे हैं, यह एक बहुत बड़ी राहत थी। यह सिर्फ़ जीवित रहने के बारे में नहीं था; यह गरिमा बनाए रखने और उस जीवन को जारी रखने के बारे में था जिसे हमने मिलकर बनाया था। इसने मुझे शोक मनाने, ठीक होने और योजना बनाने की आज़ादी दी, बिना हर एक रुपये कमाने के तत्काल दबाव के।


जो सबक उन्होंने सिखाए (और काश मैं पहले जान लेती)

The Lessons He Taught (and I Wish I’d Known Sooner)

इन सब के दौरान, मुझे एहसास हुआ कि मेरे पति ने मुझे केवल निवेश ही नहीं दिया था; उन्होंने मुझे तैयारी का एक खाका भी दिया था। यह एक मौन सबक था, जिसे काश हमने पहले अधिक खुले तौर पर चर्चा की होती। लेकिन अब, मैं चाहती हूँ कि हर व्यक्ति, हर साथी, इन छोटी-छोटी बातों के महत्व को समझे। ये सिर्फ “करने योग्य काम” नहीं हैं; ये प्यार और दूरदर्शिता के कार्य हैं, जो जीवन के सबसे कठिन क्षणों में सहारा बनते हैं।

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  • भौतिक पासवर्ड सूची: ओह, मैंने उनकी इस सूची के लिए उनके कार्यालय को कितना खंगाला! कल्पना कीजिए, बैंक खातों, बिजली के बिलों, यहाँ तक कि हमारी स्ट्रीमिंग सेवाओं तक पहुँचने की कोशिश करना, जब सभी पासवर्ड उनके दिमाग में हों। आखिरकार, मुझे एक छोटी, घिसी हुई नोटबुक मिली। वह एक जीवनरक्षक थी! कृपया, एक भौतिक, अद्यतन सूची रखें जिसमें सभी आवश्यक पासवर्ड हों, और सुनिश्चित करें कि आपके साथी को ठीक से पता हो कि यह कहाँ मिल सकती है। डिजिटल सुविधाजनक है, लेकिन आपात स्थितियों के लिए, एक मूर्त रिकॉर्ड सोने जैसा है।
  • विवाह प्रमाणपत्र: मैंने इसके बारे में तब तक ज़्यादा नहीं सोचा था जब तक कि मुझे पेंशन दावों और संपत्ति हस्तांतरण के लिए इसकी आवश्यकता नहीं पड़ी। इसने हमारे कानूनी रिश्ते को साबित किया, कागज का एक साधारण टुकड़ा जिसमें इतनी शक्ति थी। इसे सुरक्षित रखें, जानें कि यह कहाँ है, और सुनिश्चित करें कि आपके साथी इसे आसानी से प्राप्त कर सकें।
  • मृत्यु प्रमाणपत्र की कई प्रतियां: यह सबसे बड़ा आश्चर्य था। मैंने सोचा था कि एक प्रति पर्याप्त होगी। लेकिन हर संस्थान – बैंक, बीमा कंपनियाँ, भविष्य निधि कार्यालय, संपत्ति रजिस्ट्रार – सभी को एक प्रमाणित प्रति चाहिए थी। मैंने खुद को और अधिक प्रतियां मंगवाते हुए पाया। यह एक गंभीर काम है, लेकिन घटना के तुरंत बाद कई प्रमाणित प्रतियां प्राप्त कर लें। यह आपको बहुत सारी परेशानी और देरी से बचाएगा।

यह यात्रा अप्रत्याशित विकास की रही है। मैंने सीखा है कि वित्तीय साक्षरता कोई लिंग-विशिष्ट विशेषता नहीं है, न ही यह कोई बोझ है। यह सशक्तिकरण का एक रूप है, उन लोगों की विरासत का सम्मान करने का एक तरीका है जिन्हें हम प्यार करते हैं, और अपनी मन की शांति सुनिश्चित करने का मार्ग है।

आइए, हम इसके बारे में बात करें। आइए बोझ साझा करें, और आइए सुनिश्चित करें कि हम सब तैयार हैं, साथ मिलकर – जीवन की हर चुनौती का सामना करने के लिए!

 

धन्यवाद।

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NPS OPS UPS scheme complete comparison

NPS OPS UPS scheme complete comparison

यहां NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम), OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) और UPS (अविभाजित पेंशन स्कीम) का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत है:

1. NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम):

परिचय:

  • NPS 2004 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पेंशन योजना है। यह उन सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है जो 2004 के बाद नौकरी में आए, और अन्य लोग भी इसमें स्वैच्छिक रूप से जुड़ सकते हैं।

मुख्य विशेषताएं:

  • योगदान आधारित: NPS एक योगदान आधारित योजना है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों पेंशन निधि में नियमित रूप से योगदान करते हैं।
  • चुस्त विकल्प: NPS में निवेशक अपनी जोखिम सहनशक्ति के आधार पर इक्विटी, सरकारी बॉन्ड, और कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश का विकल्प चुन सकते हैं।
  • कर लाभ: धारा 80C और 80CCD(1B) के तहत कर लाभ प्रदान करता है।
  • रिटायरमेंट के बाद: NPS से सेवानिवृत्ति पर 60% राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है और बाकी 40% से आपको अनिवार्य रूप से वार्षिकी (annuity) खरीदनी होती है, जिससे आपको नियमित मासिक पेंशन मिलती है।

लाभ:

  • यह सेवानिवृत्ति के बाद स्थिर आय सुनिश्चित करता है।
  • कंपाउंडिंग से दीर्घकालिक निवेश का लाभ मिलता है।

कमियां:

  • सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पेंशन का कोई निश्चित रिटर्न नहीं होता।
  • बाजार जोखिम के कारण रिटर्न में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

2. OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम):

परिचय:

  • OPS भारत में पहले लागू की गई पेंशन योजना थी, जिसे 2004 से पहले के सभी सरकारी कर्मचारियों को दिया जाता था। यह स्कीम अब नई भर्तियों के लिए बंद कर दी गई है।

मुख्य विशेषताएं:

  • परिभाषित लाभ: OPS में कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित राशि मिलती है, जो उसकी अंतिम सैलरी पर आधारित होती है।
  • सरकारी वित्त पोषित: इस योजना में कर्मचारी का योगदान नहीं होता था; पूरी पेंशन सरकार द्वारा दी जाती थी।
  • डीए (महंगाई भत्ता): इसमें डीए के अनुसार पेंशन की राशि में समय-समय पर वृद्धि होती है।

लाभ:

  • यह एक स्थिर और निश्चित पेंशन सुनिश्चित करता है।
  • कोई बाजार जोखिम नहीं होता।

कमियां:

  • यह सरकारी वित्त पर भारी दबाव डालती थी क्योंकि इसमें कर्मचारियों का कोई योगदान नहीं था।
  • नई आर्थिक परिस्थितियों में यह योजना वित्तीय रूप से टिकाऊ नहीं मानी गई।

3. UPS (अविभाजित पेंशन स्कीम):

परिचय:

  • UPS एक अवधारणा है, जो पुराने और नए पेंशन सिस्टम को मिलाकर एक समग्र पेंशन योजना प्रदान करने का सुझाव देती है। इसे अभी तक औपचारिक रूप से लागू नहीं किया गया है, लेकिन इसे पेंशन सुधार के रूप में देखा जाता है।

मुख्य विशेषताएं:

  • UPS का उद्देश्य OPS और NPS की सर्वोत्तम विशेषताओं को जोड़ना है। इसमें सरकार और कर्मचारी दोनों का योगदान होगा, और यह सेवानिवृत्ति के बाद स्थिर पेंशन प्रदान करेगा।
  • यह एक संतुलन बनाएगा जहां कर्मचारी को नियमित पेंशन मिलेगी और सरकार पर वित्तीय बोझ कम होगा।

लाभ:

  • यह पेंशन का संतुलित मॉडल हो सकता है।
  • कर्मचारियों को स्थिर आय के साथ निवेश की सुविधा मिल सकती है।

कमियां:

  • UPS अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है, इसलिए इसके व्यावहारिकता की पुष्टि नहीं की जा सकती।

तुलनात्मक अध्ययन:

विशेषताएं NPS OPS UPS
योगदान कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान केवल सरकार द्वारा वित्त पोषित सरकार और कर्मचारी दोनों का योगदान
रिटर्न बाजार-आधारित, निवेश पर निर्भर निश्चित पेंशन, अंतिम वेतन पर आधारित संभावित रूप से स्थिर पेंशन और निवेश का संतुलन
जोखिम बाजार जोखिम उपस्थित कोई जोखिम नहीं संतुलित जोखिम
लाभांश कंपाउंडिंग का लाभ समय-समय पर डीए के अनुसार वृद्धि TBD
निष्कर्ष लंबे समय तक लाभ, लेकिन अनिश्चित पेंशन स्थिर, निश्चित लेकिन सरकार पर भारी संतुलित विकल्प का सुझाव

निष्कर्ष:

  • OPS में पेंशन की स्थिरता अधिक है, लेकिन यह वित्तीय रूप से सरकार के लिए भारी है।
  • NPS आधुनिक पेंशन योजना है, जो बाजार आधारित रिटर्न प्रदान करती है, लेकिन इसमें अनिश्चितता है।
  • UPS एक संभावित समाधान हो सकता है, जो दोनों योजनाओं की अच्छी विशेषताओं को समाहित कर सकता है, लेकिन इसे अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।

NPS भविष्य की निवेश आधारित पेंशन प्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि OPS अतीत की सरकार द्वारा वित्त पोषित पेंशन प्रणाली है। UPS इन दोनों का संतुलित समाधान हो सकता है।

 

सबसे लोकप्रिय स्कीम की बात करें तो पुरानी पेंशन योजना (OPS) इस समय सरकारी कर्मचारियों के बीच सबसे ज्यादा पॉपुलर है। इसके पीछे कई कारण हैं:

पुरानी पेंशन योजना (OPS) की लोकप्रियता के कारण:

  1. गारंटीड और स्थिर पेंशन:
    OPS में जीवनभर के लिए एक फिक्स्ड पेंशन मिलती है, जो अंतिम तनख्वाह के आधार पर तय होती है और उसमें महंगाई भत्ता (DA) भी जुड़ता है। यह वित्तीय सुरक्षा देता है।

  2. बाजार के जोखिम से बचाव:
    OPS किसी भी प्रकार के बाजार (स्टॉक/बॉन्ड आदि) के प्रदर्शन पर निर्भर नहीं करता। इससे कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद निश्चित आय मिलती है।

  3. प्रदर्शन और बहाली:
    कई सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना (NPS) के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं और OPS की बहाली की मांग कर रहे हैं। राजस्थान, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में इसे वापस लागू कर दिया गया है, जिससे इसकी लोकप्रियता और बढ़ी है।

नई पेंशन योजना (NPS) की लोकप्रियता:

  • प्राइवेट सेक्टर और युवाओं में नई पेंशन योजना ज्यादा पसंद की जाती है, क्योंकि:
    1. यह निवेश योजना और योगदान विकल्पों में लचीलापन देती है।
    2. इसे केवल सरकारी नौकरियों तक सीमित नहीं रखा गया है; यह प्राइवेट सेक्टर और अन्य फ्रीलांसर्स के लिए भी खुली है।

यूनिफाइड पेंशन सिस्टम:

  • यूनिफाइड पेंशन पर चर्चा तो हो रही है, लेकिन इसे अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। इसलिए इसकी लोकप्रियता फिलहाल कम है।

निष्कर्ष:

सरकारी कर्मचारियों में OPS सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, जबकि प्राइवेट सेक्टर और छोटे निवेशकों में NPS ज्यादा अपनाया जा रहा है।

 

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